फरवरी सब्जियों की खेती के लिए अनुकूल समय माना जाता है, चलिए इस लेख में जानते हैं कौन सी सब्जी लगाकर कम समय में अधिक कमाई कर सकते हैं-
फरवरी में लगाए यह सब्जी
फरवरी में कई सब्जियों की खेती किसान कर सकते हैं। इसके बारे में हम जानकारी देते रहते हैं। जिसमें आज हम एक ऐसी सब्जी की खेती की जानकारी लेंगे जो कि करीब 30 दिन में तैयार हो जाएगी और किसानों को उत्पादन मिलने लगेगा। साथ ही मंडी में अच्छी कीमत मिलेगी। जिसकी वजह से किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। दरअसल हम छप्पन टिंडा की खेती की बात कर रहे हैं जो की आने वाले समय में अच्छी कमाई किसानों को करा सकता है। क्योंकि उस समय पर मंडी में इसकी कीमत 40 से 60 रुपए के बीच में किसानों को मिलेगी, तो चलिए जानते हैं सही समय क्या रहेगा खेती कैसे करना है।
यह भी पढ़े- अश्वगंधा की खेती से 1 बीघा से 2 लाख रु कमा सकते हैं किसान, जानिये लागत और उत्पादन की जानकारी
छप्पन टिंडा की खेती
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार छप्पन टिंडा की खेती के बारे में किसान जाने-
- फरवरी के पहले सप्ताह में ही छप्पन डिंडा की खेती किसानों को कर लेनी चाहिए। क्योंकि बाद में तापमान बढ़ने से उत्पादन कम मिलेगा।
- बढ़िया से खेत तैयार करने के बाद किसानों को खाद डालकर फिर बुवाई करना चाहिए।
- जुताई के बाद खाद की बात करें तो किसान 3 से 4 ट्राली गोबर की खाद डालें। साथ ही जमीन की आवश्यकता के अनुसार अन्य रासायनिक खाद भी दे सकते हैं। रासायनिक खाद में किसान एसएसपी खाद 50 से 60 किलो, 25 किलो तक यूरिया म्यूरेट पोटाश 35 से 40 किलो और 500 ग्राम फंगीसाइड डालें।
- 5 फीट की दूरी में किसान बेड बनाकर बुवाई करें। इससे पैदावार अच्छी मिलती है।
- प्लास्टिक मल्च लगाने के लिए 21 माइक्रोन का प्लास्टिक मल्च चुने।
- फरवरी के पहले सप्ताह में अगर किसान खेती कर लेते हैं तो मार्च के पहले सप्ताह या फरवरी के अंतिम सप्ताह में भी किसानों को उत्पादन मिल सकता है और 15 अप्रैल तक आराम से उत्पादन मिलेगा।
- लेकिन जैसे ही तापमान 35 से 40 के ऊपर जाने लगेगा उत्पादन कर सकता है इसलिए किसानों को समय पर बुवाई करनी चाहिए।
- बुवाई के लिए 2 किलो बीज एक एकड़ में लगेगा।
- जिसमें बिजाई से पहले, बीज को 12 या 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखे।
- अगर चाहते है कि मिट्टी से पैदा होने वाली फंगस से फसल को नुकसान न हो तो बिजाई से पहले, कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम या थीरम 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करके खेती करें।