अश्वगंधा की खेती में किसानों को मुनाफा है, चलिए आपको इस लेख में अश्वगंधा की खेती के बारे में पूरी जानकारी देते हैं-
अश्वगंधा की खेती करने वाले किसान
अश्वगंधा एक औषधीय फसल है, जिनकी डिमांड ज्यादा रहती है, जिससे अब किसान पारंपरिक फसलों के बजाय अश्वगंधा की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। जिसमें आज हम मध्य प्रदेश के इंदौर के किसान सत्यनारायण पटेल जी की बात कर रहे हैं। आपको बता दे कि वह ढाई बीघा की जमीन में अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं और वह कहते हैं कि अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में इससे उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है, तो चलिए आपको बताते हैं वह अश्वगंधा की खेती कैसे करते हैं, और एक बीघा में कितनी लागत आती है, उत्पादन कितना मिलता है, और उससे कमाई कितनी होती है।
अश्वगंधा की खेती
अश्वगंधा की खेती के बारे में किसान क्या ध्यान रखें, खेती कैसे करें, इसके बारे में नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानकारी लीजिए-
- किसान बताते हैं कि अश्वगंधा की खेती के लिए ऐसी जमीन का चयन करें जहां पानी की निकासी अच्छी हो, पानी रूके ना।
- अश्वगंधा की खेती के लिए दो से तीन सिंचाई की जरूरत होती है।
- खेत तैयार बढ़िया से तीन-चार बार जुताई करने के खाद डालें। इसमें खाद एक बार ही डालना होता है यानी कि इसमें खाद पानी का खर्चा कम आता है।
- अश्वगंधा की खेती में कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसलिए इसका भी खर्चा बच जाता है।
- अश्वगंधा की खेती में अन्य फसलों की तरह ही निराई गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है। जिसमें समय-समय पर खरपतवार निकालने पड़ते हैं। पहली बार रोपाई के कुछ दिन बाद निराई की जाती है फिर एक महीने तक पानी नहीं दिया जाता। उसके बाद निदाई करके फिर पानी दिया जाता है।
- 135 दिन में यह फसल तैयार हो जाती है कुछ दिनों बाद तुड़ाई कर लेते हैं और फिर सुखाकर इसकी बिक्री करते हैं,
- किसान मशीन का इस्तेमाल करते हैं जिससे लागत कम हो जाती है।
अश्वगंधा की खेती में लागत और कमाई
अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। जिसमें किसान सत्यनारायण जी बताते हैं की ढाई बीघा की जमीन में वह अश्वगंधा की खेती करते हैं, जिसमें एक बीघा का अगर अनुपान लगाया जाए तो एक बीघा में 50000 की लागत आती है। जिससे उन्हें 2 लाख तक की कमाई हो जाती है। यानी कि यहां पर डेढ़ लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। एक बीघा से उन्हें चार से पांच क्विंटल उत्पादन मिलता है। जिसमें फर्स्ट ग्रेड का जो उत्पाद होता है उसकी कीमत 35 से ₹40000 क्विंटल जाती है। वहीं सेकंड ग्रेड के उत्पाद की कीमत 25 से 30000 और थर्ड ग्रेड 18 से ₹20000 मिलती है।
जिससे किसान को अच्छा मुनाफा हो जाता है किसान बताते हैं कि उनसे अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं और इंदौर के गढ़ीवाल में कई किसान अब इसकी खेती करने लगे हैं। यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है।