ऊंटनी के दूध की खासियत जान उड़ जाएंगे आपके दिमाग के फ्यूज। गाय और भैंस के अलावा जो भी जानवर जो की दुधारू है उनका दूध दवाई ज्यादा और दूध कम माना जाता है। जी हां इसी वजह से इन पशुओं के दूध को फ्यूचर मिल्क के नाम से जाना जा रहा है। आज हम आपको ऐसे ही एक पशु के दूध के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका दूध किसी दवाई से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं ऊंटनी के दूध की यह दूध कई गंभीर बीमारियों में दवाइयां की तरह काम आता है। इसके दूध में इतनी ज्यादा मात्रा में खासियत पाई जाती है कि आप सोच कर हैरान हो जाएंगे।
विदेश में इसके दूध की खूब ज्यादा डिमांड है। इसके दूध से डायबिटीज और तब के साथ ऑटिज्म जैसी कई बीमारियों में बहुत फायदेमंद साबित होता है। आइए ऊंटनी के दूध की अनेकों खासियत जानते हैं।
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ऊंटनी के दूध की खासियत
- ऊंटनी के दूध का टेस्ट खारा होता है लेकिन इसको पीना बड़ा आसान होता है।
- ऊंटनी के दूध में खारा टेस्ट इसीलिए आता है क्योंकि रेगिस्तान में ऊंटनी कई पौधों का सेवन करती है।
- ऊंटनी के दूध लंबे समय तक अधिक तापमान में रखा जा सकता है।
- ऊंटनी के दूध को लगभग 30 °C पर 8 घंटे तक रख सकते हैं।
- ऊंटनी के पाश्चरीकृत दूध को लगभग 4°C पर लगभग तीन दिनों तक रख सकते हैं।
- ऊंटनी के दूध जब हिलाया जाता है तो यह झागदार और गाढ़ा होता है।
- ऊंटनी के दूध को पीने से दस्त नहीं लगते हैं साथ ही यह डाइजेशन को ठीक रखने में बहुत मदद करता है।
- ऊंटनी के दूध में के-कैसीइन की मात्रा बहुत कम मिल पाती है।
- ऊंटनी के दूध में इंसुलिन की मात्रा बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती है।
- ऊंटनी का दूध गाय और भैंस की तुलना में थोड़ा पतला और कम चिपचिपा पाया जाता है।
ऊंटनी के दूध से तैयार की जाने वाली सामग्री
ऊंटनी के दूध से कई तरह के डेयरी प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। जैसे:- फॉर्मेट दूध, चाय,कॉफी, फ्लेवर्ड मिल्क, कुल्फी, पनीर, मावा, गुलाब जामुन, बर्फी, रसगुल्ला, पेड़ा के साथ दूध पाउडर भी तैयार किया जाता है।