सल्फर फ़र्टिलाइज़र के फायदे जान हो जाएंगे हैरान

सल्फर का इस्तेमाल करके किसान खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सल्फर को गंधक भी कहते हैं | हलके पीले सफ़ेद रंग की ये खाद फसलों के लिए बहुत लाभकारी होती है | यह अनाज की क्वालिटी बढ़ा देता है। इसका इस्तेमाल कई तरह की फसलों में किसान करते हैं तो चलिए सल्फर फ़र्टिलाइज़र के फायदे के बारे में पूरी जानकारी लेते हैं।

सल्फर फ़र्टिलाइज़र के फायदे

सल्फर फर्टिलाइजर का इस्तेमाल अगर किसान करते हैं तो उससे कई फायदे होते हैं। जिसमें सल्फर फ़र्टिलाइज़र के फायदे देखे तो पौधों को इससे जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, उत्पादन अधिक मिलता है, गुणवत्ता में सुधार होता है, सल्फर पौधे को प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन, क्लोरोफिल देते हैं। सल्फर का इस्तेमाल करके मिट्टी के पीएच मान को कम कर सकते हैं। सल्फर का इस्तेमाल करके मिट्टी को सुधारा जा सकता है।

इसके अलावा सर्दी में अगर किसान सल्फर का इस्तेमाल करते हैं तो फसल को पाले आदि से बचा सकते हैं। सल्फर का इस्तेमाल किसान फसल के शुरुआती दिनों में करें। इससे उन्हें अधिक फायदा होगा। सल्फर का इस्तेमाल करने का एक फायदा यह भी है कि यह फसलों में तेल और हरित द्रव्य तैयार करने में सहायक होता है।

ये आलू और चुकुन्दर में स्टार्च की मात्रा को बढ़ा देता है | इसके साथ ही तेल वाली फसलों में ये तेल की मात्रा को भी बढ़ा देता है |

इस तरह सल्फर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। सल्फर का इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता बढ़ जाती है। सल्फर का इस्तेमाल करने का एक फायदा यह है कि यह पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। पौधे की जड़ों को मजबूत करता है। तिलहन में प्रोटीन और तेल की मात्रा को बढ़ाता है। सुखा प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है। फसल की परिपक्वता में तेजी लाता है।

सल्फर फ़र्टिलाइज़र के प्रयोग

सल्फर फ़र्टिलाइज़र के फायदे लेने के लिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार सल्फर के प्रयोग के बारे में जाने-

  • सल्फर का इस्तेमाल करने का भी एक समय और अनुपात होता है। जिसमें सल्फर बेंटोनाइट 90% के इस्तेमाल की बात करें तो बुवाई के समय या खड़ी फसलों में सीधे मिट्टी में लगाकर कर सकते हैं।
  • तिलहनी और दलहनी फसलों में सल्फर का इस्तेमाल एक एकड़ में 12 से 15 किलो किया जाता है।
  • अनाज की फसलों में सल्फर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो 8 से 10 किलो 1 एकड़ के अनुसार करें।
  • फल या वनस्पति में सल्फर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो 10, 12 किलो 1 एकड़ में इस्तेमाल करें।
  • सरसों की खेती अगर कर रहे हैं तो उसमें सल्फर का इस्तेमाल 5 किलो एक बीघा में किया जाता है।
  • इसका इस्तेमाल सिंचाई से पहले यूरिया के साथ करने पर बढ़िया फायदे होते हैं।
  • चारा की खेती भी अगर किसान करते हैं तो उसमें भी सल्फर का इस्तेमाल कर सकते हैं। चारा फसलों में सल्फर के प्रयोग की बात करें तो इससे अच्छी पैदावार मिलती है स्वस्थ विकास होता है।
  • सल्फर का इस्तेमाल सोयाबीन, मूंगफली, दाल, कैनोला आदि में भी करते हैं। सल्फर नाइट्रोजन के स्तरीकरण में सहायक होता है। फलियां की जड़ों में गांठ बनाता है।

सल्फर से फसलों को पाला नहीं लगता

सल्फर का इस्तेमाल करने से फसलों को पाला नहीं लगता है। सल्फर पौधों में गर्मी पैदा करता है। जिससे सर्दी का असर उन पर नहीं पड़ेगा। सल्फर का छिड़काव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। सल्फर से पौधों में तेल के संश्लेषण करने में मदद मिलती है। जिस समय पाला पड़ता है उस समय अपनी फसल को पाला लगने से बचाने के लिए 0.2% यानी कि दो ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर फसलों में छिड़के। इससे फसल में पाला नहीं लगेगा।

अगर सल्फर डस्ट छिड़कना चाहते हैं तो एक एकड़ में 6 से 8 किलोग्राम सल्फर दस्त का छिड़काव खेत में करें। सल्फर शीतलहर और पाला से फसल को बचाता है। अगर पाला बहुत ज्यादा पड़ रहा है और फसल बर्बाद होने की संभावना है तो ऐसे में सल्फर के 80 WDG पाउडर का इस्तेमाल तीन किलोग्राम एक एकड़ में करें, फिर सिंचाई कर दे। इससे फसल को पाले से बचाया जा सकता है।

एक बीघा में सल्फर कितना देना चाहिए?

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए के एक बीघा में किस फसल में कितना सल्फर डालना चाहिए-

  • सरसों की खेती करने वाले किसान अगर सल्फर का इस्तेमाल करते हैं तो सिंचाई से पहले 5 किलो सल्फर एक बीघा की दर से छिड़के।
  • अगर गेहूं के किसान सल्फर का इस्तेमाल करते हैं तो एक एकड़ में 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर डालें।
  • धान के खेती में अगर किसान सल्फर का इस्तेमाल करते हैं तो 90% सल्फर जो की बेंटोनाइट के नाम से आता है। उसका इस्तेमाल 8 किलो 1 एकड़ में करते हैं।

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किन फसलों को होती है सल्फर की जरूरत

सल्फर सभी फसलों के लिए फायदेमंद है। लेकिन कुछ ऐसी फसले हैं जिन्हें ज्यादा सल्फर की आवश्यकता होती है। अगर उन फसलों में सल्फर डाला जाता है तो अच्छा उत्पादक किसानों को मिलता है। जैसे की सोयाबीन, सूरजमुखी, सन, अलसी, कनोला, अरंडी, फलियां वाले फसल, कपास, मक्का जैसे फसले जिन्हें नाइट्रोजन की ज्यादा जरूरत होती है। सल्फर अगर तिलहन फसलों में डालते हैं तो तेल की मात्रा उसमें बढ़ जाती है। जैसे कि सरसों की खेती करने वाले किसान सल्फर का इस्तेमाल करें तो सरसों में तेल की मात्रा अधिक होगी। आपको बता दे की सल्फर पौधों के 17 आवश्यक पोषक तत्व में से एक माना जाता है।

सल्फर इस्तेमाल करने का समय

सल्फर का इस्तेमाल करने का एक समय होता है। जिसमें बताया जाता है की फसल की वृद्धि के शुरुआती दिनों में सल्फर का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है। सल्फर का अगर डीएपी के साथ मिलाकर इस्तेमाल करते हैं तो अधिक प्रभाव पड़ता है। सल्फर का इस्तेमाल करने से पौधे में रोग प्रतिरोधकता बढ़ जाती है। फसल जल्दी पकेगी और पत्तों में अगर सफेद धब्बा रोग लगता है। जिसे पाउडरी मिल्ड्यू कहते हैं और लाल मकड़ी कीट लगते हैं तो इन्हें नियंत्रित कर सकते हैं।

सल्फर 90%

सल्फर बेंटोनाइट (S 90%) का इस्तेमाल भी किया जाता है। इससे मिट्टी में सुधार होता है। बता दे कि सल्फर बेंटोनाइट (S 90%) का इस्तेमाल एक माध्यमिक पोषक तत्व के रूप में करते है, जिससे क्षारीय मिट्टी की समस्याओं को ठीक होती है। सल्फर आवश्यक एंजाइमों और पौधों के प्रोटीन के निर्माण में सहायक है। इस तरह आप समझ सकते है सल्फर 90% का इस्तेमाल करके किसान फसल को स्वस्थ बना सकते है।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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