क्या सच में डीएपी खाद होंगी साल 2025 में महंगी? किसानों पर पड़ेगी महंगाई की मार

क्या सच में डीएपी खाद होंगी साल 2025 में महंगी? आने वाला साल 2025 किसानों के लिए चिंता का विषय होने वाला है। ऐसा इसीलिए क्योंकि आने वाले साल में डीएपी के रेट बढ़ने की पूरी संभावना है। अब तक किसानों को 50 किलो की डीएपी की बोरी जहां 1350 रुपए में मिला करती थी। उसमें ₹200 की बढ़ोतरी की जा रही है। सरकार किसानों को कम दामों में डीएपी देने के लिए 3500 रुपए प्रति टन के हिसाब से खास सब्सिडी प्रदान करती आ रही है।

जिसका समय अब तक 31 दिसंबर तक था। जोकि आज खत्म होने जा रहा है। बता दे बीते दिनों में डीएपी तैयार करने के प्रयोग में होने वाली फास्फोरिक एसिड एवं अमोनियम के रेट में 70% तक की बढ़ोतरी होने पर इसका सीधा असर खाद पर पड़ रहा है। जिसकी वजह से खाद के रेट बढ़ रहे हैं।

खाद तैयार करने वाली कंपनियों को सब्सिडी

फास्फोरस और पोटाश युक्त यानी पीएंडके उर्वरकों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अप्रैल 2010 से पोषक तत्व पर आधारित सब्सिडी योजना जारी है। यह सब्सिडी उन कंपनियों को दी जाती है जो खाद तैयार करती है। पीएंडके क्षेत्र नियंत्रण मुक्त है और एसबीएस के चलते कंपनियां मार्केट के मुताबिक उर्वरकों का उत्पादन आयात कर पाएगी।

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डीएपी के दाम बढ़ना तय

किसानों को कम से कम रेट में डीएपी देने के लिए खास तरह के अनुदान को उपलब्ध करवाया जाता है जिनकी समय सीमा में बढ़ोतरी अगर नहीं हुई तब डीएपी के खाद के दामों में उछाल आना तय है। देशभर में डीएपी की लगभग डिमांड का करीब 90% आयात पूरा हो सकता है।

प्रति बैग ₹200 महंगा होगा

अगर आने वाले समय में इस सब्सिडी को जारी रखते हैं तो इसका पूरा भार उद्योग क्षेत्र पर पड़ेगा। इतना ही नहीं बीते कुछ समय से डॉलर की तुलना में रुपए का मूल्य घटता नजर आ रहा है वहीं वैश्विक बाजार में अब तक डीएपी का मूल्य लगभग 630 डॉलर प्रति टन है। जिसके चलते रुपए में कमजोर होने के आयात लागत में लगभग ₹1200 प्रति टन की बढ़ोतरी की जा रही है। अब अगर ऐसे में सब्सिडी को बंद किया जाता है। तब प्रतिदिन लगभग 4700 की लागत बढ़कर ज्यादा हो जाएगी। जिसके चलते प्रति बैग डीएपी लगभग ₹200 महंगा होगा।

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