खेती का अनोखा तरीका अपना कर किसान कमा रहा प्रति बीघा 2 लाख रुपए, एक तकनीकी ने बदल दी जिंदगी

On: Wednesday, December 18, 2024 3:40 PM

आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी जिंदगी उसके दोस्त की सलाह ने बदल कर रख दी। राजस्थान का रहने वाला किसान दूसरे राज्य में अपने दोस्त से मिलने उसके घर गया था जहां उसने खेती का बहुत ही अनोखा तरीका देखा जिससे उसकी जिंदगी बदल गई। इस तकनीकी से खेती करके आज किसान लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। आइए इस किसान के बारे में विस्तार से जानते हैं।

किसान दिनेश

राजस्थान के सिकर जिले के एक छोटे से गांव बेरी के निवासी किसान दिनेश की जिंदगी उसके दोस्त की सलाह ने बदल कर रख दी। किसान दिनेश 12वीं तक पढ़े लिखे हैं और अपने गांव में खेती करते हैं। कुछ 6 साल पहले की बात है जब यह अपने दोस्त नबी के घर उनसे मिलने गए थे इसी दौरान उन्होंने बांस के स्ट्रक्चर पर सब्जियों की खेती करते देखा तब उनके दोस्त ने उनको बताया कि यह जर्मन तकनीकी है जो बेहद फायदेमंद साबित होती है।

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उनके दोस्त ने सलाह दी कि वह भी इस तकनीकी से खेती करें जिसमें केवल एक बार स्ट्रक्चर लगाने पर खर्च करना होता है जो की कमाई के जरिए निकल जाता है और उनके दोस्त ने यह भी बताया कि जमीन पर उगाई हुई सब्जी के बजाय इस स्ट्रक्चर पर उगाई हुई सब्जियों की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है।

दोस्त की सलाह ने बदली जिंदगी

दिनेश का कहना है कि जब वह अपने गांव लौटे और यूट्यूब पर इस तकनीकी के बारे में वीडियो देखें और फिर अपने दोस्त को गांव बुलाया। इसके बाद इन्होंने अपने दोस्त की मदद से 2019 में टोटल 30 बीघा जमीन में से 2 बीघा जमीन में जर्मन तकनीक से लौकी की शुरू कर दी जिसके बाद दिनेश ने बताया कि उनको दो बीघा खेत जोतने के लिए लौकी के बीज 400 बांस, लोहे और प्लास्टिक के तार खरीदने पर ₹200000 का खर्चा आ गया इसके बाद उन्होंने जर्मन तकनीक से स्ट्रक्चर तैयार किया और 10X10 फिट की दूरी पर पांच पांच बीज लगा दिए। प्रकार उन्होंने लौकी की खेती शुरू कर दी।

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ड्रिप सिंचाई तकनीक

इसके कुछ दिन बाद जब पौधे निकलने लगे तो इन्होंने बांस रोप दिए। इसके बाद में बेलों को बांसों पर चढ़ा दिया। वही किसान दिनेश ने लौकी की सिंचाई के लिए बांसो के जरिए ड्रिप इरीगेशन यानी कि बून्द-बून्द सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया। इसके बाद इन्होंने ऊपर के सिरों में तारों का जाल बनाया और बेलो को उस पर फैलने दिया। इसमें उन्हें खरपतवार से निपटने में भी बड़ी आसानी हुई। इस प्रकार इन्होंने इस तकनीकी से खेती को आगे बढ़ाया।

जर्मन तकनीकी से उगाई लौकी की कीमत

खेती शुरू करने के डेढ़ महीने बाद इनको लौकी की फसल मिलने लगी जो की बेहद साफ-सुथरी और चमकदार साथ ही बहुत उत्तम क्वालिटी की थी। इसके साथ इन सब्जियों को मंडी में भी बहुत अच्छा रेट मिलने लगा। दिनेश का कहना है कि यह सामान्य लौकी से पास से 6 से 7 रूपए महंगी बिकती है। उन्होंने बताया कि इस सीजन में उन्होंने दो बीघा जमीन की लौकी से 2 लाख रुपए की कमाई कर ली। बता दे किसान इस तकनीकी इस्तेमाल करके केवल हरी सब्जियां जैसे खीरा, तोराई, ककड़ी, करेला और लौकी भी उगा सकते है।

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