पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद खेतों में उगा रहा आज सब्जियां जिससे किसान को हो रहा लाखो का मुनाफा। आइए इस किसान के बारे में जानते है।
युवा किसान श्रीकांत वर्मा
आज के समय में कई युवा किसान ऐसे हैं जो खेती को नौकरी से ज्यादा महत्व देते नजर आ रहे हैं। नौकरी ना करके कई युवा किसान आज के समय में खेती कर रहे हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद में इंटरक्रॉपिंग फार्मिंग करते नजर आ रहे हैं। आपको बता दे इंटरक्रॉपिंग फार्मिंग जैविक खेती का ही एक हिस्सा कहा जाता है।
इस खेती के दौरान एक ही जमीन में कई तरह की सब्जियों की खेती की जाती है जिसको इंटरक्रॉपिंग फार्मिंग कहा जाता है या फिर सरल भाषा में यह कहे की मिश्रित खेती कहा जाता है। इस युवा किसान का नाम श्रीकांत वर्मा है जो ग्रेजुएट पास कर चुके हैं लेकिन आज खेती करके लाखों रुपए कमा रहे हैं।
इंटरक्रॉपिंग खेती को दे रहे बढ़ावा
किसान इंटरक्रॉपिंग खेती में केले, टमाटर की खेती कर रहे हैं। बता दे आपको कि यह युवा किसान कई सालों से इस तरह की खेती करता आ रहा है। जनपद बाराबंकी के सरसौंदी गांव के निवासी युवा किसान श्रीकांत वर्मा ने एक बीघा खेती में केले और टमाटर की खेती की जिससे इन्होंने दो से तीन लाख रुपये एक फसल पर कमाई कर ली है।
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पिता से ली खेती की प्रेरणा
युवा किसान श्रीकांत वर्मा का कहना है कि वह ग्रेजुएशन के बाद नौकरी ना करके खेती करना ज्यादा सही समझा। इन्होंने बताया कि उनके पिता भी खेती करते हैं जिसको उन्होंने आगे बढ़ते हुए बागबानी करना शुरू कर दिया। इस बागबानी में उन्होंने केला, कद्दू, करेला, लौकी, बींस आदि सब्जियों की खेती शुरू कर दी। इतना ही नहीं इन्होंने बताया कि अभी उनके खेत में लगभग 2 एकड़ जमीन में केले लगे हुए हैं जिसके बीच में काफी जगह खाली होने की वजह से इन्होंने बीच-बीच में उसमें टमाटर लगवा दिए। इस प्रकार वह इंटरक्रॉपिंग खेती कर रहे हैं।
कमाई कितनी होती है
श्रीकांत वर्मा ने बताया कि वह इस खेती के जरिए एक से दो लाख तक का मुनाफा कमा लेते हैं। इतना ही नहीं उनको एक फसल के साथ दूसरी फसल आराम से बिना किसी मेहनत के मिल जाती है जिसमें लगभग एक एकड़ में एक लाख रुपए लागत आ जाती है वही मुनाफा लगभग 2 से 3 लाख रुपए तक आ जाता है।