गेंहू की ये 4 उन्नत किस्में किसानों को मालामाल कर देंगी, बंपर होगी पैदावार, जानिये किस क्षेत्र में कौन-सी गेंहू की किस्म लगाएं

गेंहू की ये 4 उन्नत किस्में किसानों को मालामाल कर देंगी, बंपर होगी पैदावार, जानिये किस क्षेत्र में कौन-सी गेंहू की किस्म लगाएं।

गेंहू की खेती

पारंपरिक फसलों में किसान गेहूं की खेती आज भी करते आ रहे हैं। गेहूं की खेती में उन्हें फायदा नजर आता है और इसकी खेती आसान है। उन्हें इसकी खेती में अच्छा तजुर्बा है। सरकार भी एमएसपी पर गेहूं की खरीदी करती है। लेकिन गेहूं की अगर किसान उन्नत किस्म का चुनाव करते हैं तो उन्हें ज्यादा उत्पादन मिलेगा। जिससे अधिक कमाई होगी। क्योंकि आजकल गेंहू की कई वैरायटी आ चुकी है। जिसमें से कुछ किस्म ऐसी है जो की तगड़ी मात्रा में पैदावार देती है तो चलिए आज इस लेख के जरिए हम चार उन्नत किस्म के बारे में जानते हैं।

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गेंहू की ये 4 उन्नत किस्में

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार गेंहू की 4 किस्म के बारें में जानिये ।

  • सबसे पहले हम गेहूं की उन्नत किस्म HD 3226 की बात कर लेते है। इससे किसानों को औसतन उपज एक हेक्टेयर से करीब 57.5 से 79.60 क्विंटल मिल सकता है। अगर समय पर खेती की तो अधिक उपज मिलेगी। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी किसान कर सकते सिवाय झांसी मंडल के इसके आलावा हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला, पौंटा घाटी के साथ राजस्थान के किसान लगा सकते है लेकिन कोटा और उदयपुर मंडल के किसान नहीं लगाएं।
  • किसान अगर 45.5 क्विंटल – 65.5 क्विंटल हेक्टेयर से गेहूं की उपज लेना चाहते है तो उन्नत किस्म HD 2967 लगा सकते है। यह किस्म उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के किसानों के लिए ज्यादा बढ़िया रहेगी। यह किस्म पीले और भूरे रतुए से रोग प्रतिरोधी है। इसकी फसल 122 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी खेती बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान और ओडिशा के किसान कर सकते है।
  • गेहूं की उन्नत किस्म HD 3086 (पूसा गौतमी) भी अच्छी है। यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए बढ़िया है। यह पीले और भूरे रतुए रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है। जिससे किसानों को नुकसान नहीं होगा। इसमें उत्पादन 54.6 – 81 क्विंटल एक हेक्टेयर से मिलता है। इसकी खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और दिल्ली के किसान कर सकते है। समय की बात करें तो उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 145 दिन वहीं उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 121 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी खेती उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के किसान करते है तो औसत 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलेगी।
  • 112 दिन में तैयार होने वाली, 41.7 – 66.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली गेहूं की उन्नत किस्म HD 3118 (पूसा वत्सला) भी बढ़िया है। यह किस्म भी पीले और भूरे रतुए रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। इसकी खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के किसान के साथ पश्चिम बंगाल के किसान कर सकते है, बस पहाड़ियों को छोड़कर इसके आलावा उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी क्षेत्रों के किसान भी लगा सकते है। अगर किसान देश से बुवाई और सिंचित अवस्था में खेती करना चाहते है तो उसके लिए ये किस्म बढ़िया है।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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