सबौर मंसूरी धान: कम खर्च, कम खाद और कम पानी के साथ अधिक उपज देने वाली ये है नई मंसूरी धान, जानिये इस धान की पूरी जानकारी। जिससे खरीफ सीजन में कर सके इस धान की खेती।
खरीफ का सीजन
रबी की फसल की कटाई के बाद किसान अब खरीफ के सीजन की तैयारी में लग जाते हैं। ऐसे में किसानों को अच्छी उपज देने वाली धान की तलाश होती है। क्योंकि ज्यादातर किसान खरीफ के सीजन में धान की खेती करते हैं। धान की खेती किसान खाने के साथ-साथ आमदनी बढ़ाने के लिए भी करते है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक लगातार धान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की नई-नई किस्मे लेकर आते हैं।
जिसमें एक नई किस्म की धान आई है, सबौर मंसूरी धान। इसके बारे में यहां पर हम पूरी जानकारी लेंगे कि इस ध्यान से कितनी उपज होगी। कैसे कितना समय लगेगा और किन राज्यों में इसकी खेती की जाएगी। लेकिन इससे पहले जानते हैं इस धान की उत्पत्ति कैसे हुई।
सबौर मंसूरी धान की खोज कहाँ हुई
सबौर मंसूरी धान कमाल की धान बताई जा रही है। इससे शानदार उपज होगी। इस धान की खोज की बात करें तो बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक द्वारा की गई है। साथ ही इसका परीक्षण भी 4 सालों से बिहार के साथ अन्य राज्यों में भी अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना द्वारा 25 केंद्रों में की जा चुकी है। वहीं अब इस धान का उत्पादन देश के करीब नौ राज्यों में किया जाएगा। जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना, पुडुचेरी और बिहार राज्य में की जाएगी। चलिए जानते हैं इस धान की खासियत क्या है और इसकी खेती किसान कैसे करेंगे।
सबौर मंसूरी धान की खासियत
सबौर मंसूरी धान (Sabour Mansuri Dhan )की खासियत की वजह से ही आज हम यहां पर इसकी चर्चा कर रहे है। किसानों के लिए ये एक जरूरी बात होती है की खेती किसानी में खर्चा कितना आएगा। जिसमें बता दे कि सबौर मंसूरी धान में किसानों को कम खर्च पड़ेगा। जी हां सबौर मंसूरी धान अन्य धानों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा उपज देगी। जिससे किसान मालामाल हो सकते हैं। इस धान की खेती की बात करें तो किसान इसके बीज सीधे तरीके से बजाई करके भी लगा सकते हैं।
सबौर मंसूरी (Sabour Mansuri Dhan variety) मौसम के अनुकूल वेरायटी है। इससे औसत उत्पादन 65 से 70 कुंटल, और ज्यादा उत्पादन में 122 को कुंटल प्रति हेक्टेयर भी हो सकता है। इस धान में तैयार होने में लगने वाले समय की बात करें तो अगर किसान सीधी बुवाई करते हैं तो 135 से 140 दिनों में यह फसल तैयार हो जाएगी।धान की इस वैरायटी के दानों का रंग सुनहरा है। चलिए यह समझते हैं कि इस धान में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा कैसे हैं।
सबौर मंसूरी धान की रोग प्रतिरोधक क्षमता है ज्यादा
सबौर मंसूरी धान की एक और खासियत यह है कि इसमें अन्य धान की तुलना रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है। इसके तने छेदक और भूरे पत्ते लपेटक में सहनशीलता रखते हैं। क्योंकि इसके तने मजबूत रहते हैं। जिसके वजह से तूफान में भी यह मजबूती से खड़े रहते हैं। इन पर असर नहीं होगा। इतना ही नहीं यह ध्यान झोंका और झुलसा रोग में भी मध्यम प्रतिरोधी रहती है। इस तरह रोग और कीटों से जल्दी प्रभावित नहीं होगी।