अरहर की खेती ऐसे करें किसान दोगुनी होगी पैदावार, यहाँ जानिये खरीफ के सीजन में अरहर में जोताई से लेकर खाद-पानी की जानकारी। इस लेख में हम अरहर की खेती के बारें में सही और सटीक जानकारी लेंगे।
खरीफ के सीजन में अरहर की खेती
रबी की फसल की कटाई के बाद अब किसान खरीफ की फसल के बारे में चिंता करने लगे होंगे। वह सोचने लगे होंगे कि अब हम कौन-सी फसल बोएंगे, कैसे खेती करेंगे, उसमें हमें कितना मुनाफा होगा, तो अगर किसान अरहर की खेती करना चाहते हैं तो आज हम जानेंगे कि अरहर की खेती कैसे करें। जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो।
क्योंकि अगर सही तरीके से खेती नहीं की गई तो खर्चा और मेहनत उतनी ही लगेगी। लेकिन उत्पादन कम होगा। जिससे किसानों की कमाई भी नहीं होगी। क्योंकि अरहर की दाल के अच्छे खासी बाजार में कीमत मिलती है, तो चलिए जानते हैं की खरीफ के सीजन में अगर किसान अरहर की खेती करते हैं तो किन चीजों का ध्यान रखना है।
जोताई से लेकर खाद-पानी की जानकारी
निचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानें अरहर की खेती में कब करें खेत की जोताई, बुवाई, और कब-कितना डालें खाद और पानी।
- अरहर की खेती करने के सही समय की बात करें तो मिली जानकारी के अनुसार बता दे कि किसान जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के दूसरे सप्ताह तक अरहर की बुवाई कर सकते हैं। यह समय उचित होगा। लेकिन जिन किसानों को थोड़ी जल्दी है और उनके पास पानी की सुविधा है तो वह जून के पहले सप्ताह में भी बोवाई कर सकते हैं।
- अरहर की खेती के लिए सही मिट्टी की बात करें तो वह मिट्टी जिसका पीएच मान 5 से 8 के बीच होता है, वह बेहतर होती है। लेकिन खारी मिट्टी अरहर की खेती के लिए अच्छी नहीं होती। साथ ही मिट्टी में पानी नहीं रुकना चाहिए। इसके अलावा बता दे की अरहर की खेती के लिए हल्की और मध्यम भारी मिट्टी उचित होती है। अगर ऐसी मिट्टी आपकी है तो आप आराम से बिना चिंता के अरहर की खेती कर सकते हैं।
- अब खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले किसान को कल्टीवेटर से अच्छी तरह एक से दो बार जुदाई कर लेनी चाहिए। जिससे मिट्टी में जो कीड़े हैं, वह मिट्टी पलटने के कारण खत्म हो जाए। ताकि पौधों को नुकसान ना पहुंचाएं। लेकिन अगर आपके खेत में कीड़े और दीमक की समस्या है, तो प्रति हेक्टेयर के अनुसार 25 किलोग्राम हेप्टाक्लोर डाल सकते हैं। इससे इनसे छुटकारा मिलेगा।
- वही खाद की बात करें तो मिट्टी को पोषण देने के लिए खाद या कंपोस्ट खाद डाल सकते हैं। जिसकी मात्रा प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल रहेगी। इससे मिट्टी आपकी पोषक तत्वों से भर जाएगी और उससे अरहर की फसल भी अच्छी होगी।
- इसके अलावा जिन किसानों के खेतों में फंफूद की समस्या है तो बुवाई करने से 48 घंटे पहले किसान 2.5 ग्राम थीरम या फिर कैप्टान प्रति किलो बीज में मिला सकते हैं। फिर जब यह मिला ले तो बोवाई करने से पहले किसान बीजों में कोराईजोबियम कल्चर और पीएसबी मिला सकते हैं। उसके बाद बुवाई कर सकते हैं।
- अब बुवाई करने के सही दूरी की बात करें तो पौधों के बीच की दूरी 20 सेमी और बीज की बुवाई की दूरी 60 सेंटीमीटर बताई गई है। यह दूरी रखने से पौधों को बढ़ने में काम भर की जगह मिल जाती है। जिससे कटाई करने के साथ-साथ पौधों को घना होने में भी मदद मिलती है।
- अब खाद की बात की जाए तो अरहर एक ऐसी फसल है, जिसको नाइट्रोजन की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है। जिसमें जब बोवाई कर ले तो उसके 40 से 45 दिन बाद 18 से 20 किलो ग्राम तक नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर के अनुसार डाल सकते हैं। इसके अलावा 45 किलो फास्फोरस, 20 किलो गंधक और 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के अनुसार खेतों में डाल सकते हैं। इससे पौधे को उर्वरक की कमी नहीं होगी और उत्पादन भी अच्छा होगा।
- बुवाई और खाद की बात करने के बाद अब हम जान लेते हैं। सिंचाई के बारे में तो बता दे की अरहर की फसल में बहुत ज्यादा पानी नहीं देना है। जब मिट्टी को पानी की आवश्यकता हो तभी पानी देना है। वहीं अगर बारिश अच्छी हो रही है तो पानी की और ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ती। वही जब पौधे में फूल आते हैं और फलिया-दाने आने लगते हैं। उस समय सिंचाई कर सकते हैं। लेकिन अगर आपकी फसल ऐसी है कि जल्दी पक जाती है तो उसमें और ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
- जिसमें किसान फलिया में दाना बढ़ते समय सिंचाई कर सकते हैं। इससे उत्पादन बढ़ेगा। इस तरह अरहर की फसल में किसान इन बातों का ध्यान रख सकते हैं, और उत्पादन बढ़ाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो आप अन्य किसानों के साथ शेयर कर सकते हैं। जिससे उन्हें भी उत्पादन बढ़ाने में मदद मिले।