जैविक खेती के तहत किसानों को ₹4000 से ₹5000 की आर्थिक सहायता मिलेगी, तथा सरकारी प्रमाण पत्र भी मिलेगा। जानिए, कृषि विभाग का किसानों को संदेश।
जैविक खेती में किसानों को फायदा
जैविक खेती में किसानों को कई तरह के फायदे हैं। सबसे पहला फायदा तो यह है कि इसमें मिट्टी को नुकसान नहीं होता, पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलता, और अनाज भी सेहतमंद होता है, जिससे बीमारियां कम होती हैं। इसके अलावा, जैविक खेती में खर्च भी कम आता है। जहां ₹5000 में एक हेक्टेयर में सालभर जैविक खेती की जा सकती है, वहीं रासायनिक खेती में इससे 10 गुना ज्यादा लागत आती है। जिससे किसानों को आर्थिक बोझ बढ़ता है।
कृषि विभाग अब किसानों को जैविक खेती के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित कर रहा है, जिसके तहत जैविक और पारंपरिक खेती के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है।
जैविक खेती के लिए मिलेंगे पैसे
यह योजना सीकर कृषि विभाग में शुरू हो गई है। इसमें किसानों को हर साल ₹5000 आर्थिक मदद दी जाएगी। किसान जैविक उत्पाद बनाकर बेच भी सकेंगे, जिससे आमदनी में वृद्धि होगी। कृषि विभाग ने बताया कि किसानों को जैविक खेती के लिए हर साल ₹4000 और पारंपरिक खेती के लिए ₹5000 मिलेंगे। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती योजना में चिन्हित किसानों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा।
जैविक खेती के लिए मिलेगा सरकारी प्रमाण पत्र
आर्थिक मदद के साथ-साथ किसानों को सरकारी प्रमाण पत्र भी मिलेगा। यदि किसान 3 साल तक लगातार जैविक खेती करते हैं, तो उन्हें विभाग द्वारा प्रमाणन रिपोर्ट के आधार पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा। तीन साल पूरे होने के बाद विभाग संबंधित किसानों के खेतों में उगाई गई फसलों की जांच कर जैविक प्रमाणन करेगा।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती और पारंपरिक खेती योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। इसके तहत 125 गांवों के किसानों को चयनित किया गया है, जिसमें 10,000 किसानों को चुना गया है। इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उत्पादन के इस्तेमाल में कमी लाना और किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करना है।