पुरानी कहावत है कुछ करने की ठान लो तो दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो असंभव हो। आज हम आपको ऐसे 40 किसानों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपना कमाल का हुनर दिखाया है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक के 40 किसानों ने मिलकर 1 एकड़ ऐसी जमीन जो की बंजर हुआ करती थी उसको इस उम्मीद से अपने पास रखा था कि कभी यह आर्थिक संकटों को दूर कर देगी। इनका यह सपना आज पूरा हो चुका है।
इस बंजार और पथरीली जमीन में किसानों ने मिलकर कई प्रयासों से इसको उपजाऊ बना दिया है। इतना ही नहीं यह आज के समय में काजू जैसे सूखे मेंवे से कमाई करके दे रही है। आइए इन 40 किसानों की सफलता के बारे में विस्तार से जानते हैं।
खेत में लगाए काजू के 20 पौधे
इन किसानों ने जहां एक एकड़ जमीन से मेहनत शुरू की थी वह आज 40 एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बना चुकी है। अब इन बंजर जमीनों में काजू के पेड़ों के साथ-साथ आम के पेड़ और सब्जियां भी लहराती है। आपको बता दे सिवनी जिले के आदिवासी ब्लॉक घंसौर अंतर्गत बरेला, जम्होड़ी, इमलीटोला और पनारझीर सहित यहां के आसपास के गांव के 40 किसानों ने काजू के 20-20 और आम के 30 पौधे 11 साल पहले यहां लगाए थे। इन पौधों की देखभाल और सालों के इंतजार के बाद यह जमीन आज उपजाऊ बन गई और यहां अब सब्जियों की भी खेती होती है।
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बंजर जमीन ने बदली किसानो की तकदीर
इस बंजर जमीन में 40 किसानों की तकदीर बदल गई है। पनारझिर गांव के रहने वाले महेंद्र उईके, धूर सिंह मरावी, सूरज मरावी, जम्होड़ी गांव के रहने वाले कारयाम, प्रह्लाद नेताम, मुंडा गांव के धनीराम पत्राम, हरी सिंग मरावी, बीर सिंह मरावे का कहना है कि इनकी 1 एकड़ जमीन पूरी तरह से बंजर और पथरीली पड़ी हुई थी। फिर इन लोगों ने जमीन पर 11 साल पहले काजू और आम के पौधे लगाकर इसको छोड़ दिया था। इसके बाद लगभग 4 साल के इंतजार के बाद काजू के पेड़ पर फल दिखाना शुरू हुए। इस प्रकार उनकी बंजर जमीन उपजाऊ होने लगी।
काजू का भाव
किसानों का कहना है कि हर साल गर्मी के समय में 1 से 2 क्विंटल तक काजू का उत्पादन मिल जाता है। इन काजू को आसपास के लोग 700 से 800 ₹800 किलो खरीद लेते हैं। किसानों ने बताया कि शुरुआती दिनों में इन्होंने बहुत मेहनत करी। इसके बाद आज इन्हें काजू और आम की खेती से तगड़ी कमाई हो रही है।
बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ
किसानों ने बताया कि इनकी बंजर जमीन पर जब इन्होंने काजू और आम के पेड़ लगाए तो इनकी पत्तियां झड़कर जमीन में गिरने और सड़ने लगी इसके बाद यह प्राकृतिक रूप से खाद तैयार होने लगा और धीरे-धीरे जमीन उपजाऊ बनती गई। इसके बाद किसानों ने इस बंजर जमीन से पूरे पत्थर हटा करके इसको खेती करने लायक बना दिया। आज के समय में वह अलग-अलग सब्जियों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं।
40 हेक्टेयर में अलग-अलग फसले
इस बंजर जमीन को उपजाऊ बना कर के किसानों ने काजू और आम के पौधों के साथ-साथ कई सब्जियां भी इसमें लगे जिससे आज अच्छी खासी कमाई हो रही है।
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