4 महीने के भीतर अगर अच्छी खासी कमाई कम जमीन से करना चाहते हैं तो चलिए आपको एक ऐसी फसल की जानकारी देते हैं जो की मंडी में आराम से बिक जाएगी, उसकी कीमत भी बढ़िया मिलेगी-
कम लागत में अधिक मुनाफा
कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली सब्जी की खेती की यहां पर आपको जानकारी देने जा रहे हैं। जिनकी डिमांड ज्यादा रहती है, कीमत भी अच्छी मिलती है, सेहत के लिए भी फायदेमंद है। दरअसल हम गाजर की बात कर रहे हैं। जी हां आपको बता दे की गाजर की खेती में किसानों को मुनाफा है। एक एकड़ की जमीन से किसान 3 लाख 50 हजार रु की कमाई कर सकते हैं और 50000 की उसमें लागत आएगी। यानी की ढाई लाख रुपये यहां पर शुद्ध मुनाफा हो सकता है। किसान के पास खेती के लिए जितने कृषि यंत्र अज और और साधन होंगे तो लागत उतनी ज्यादा कम होगी और कमाई उतनी ज्यादा।
साथ ही मंडी जैसी होगी उस हिसाब से फायदा होगा। अगर उनकी मंडी में 15-20 रुपए किलो से ज्यादा कीमत मिलती है तो कमाई अधिक होगी। लेकिन अगर ₹15 भी गाजर की कीमत प्रति किलो मिल रही है तो 1 एकड़ की जमीन से 25 क्विंटल उत्पादन और उस ₹15 के हिसाब से ₹350000 की कमाई, तो चलिए जानते हैं गाजर की खेती कैसे करें।
गाजर की खेती
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए गाजर की खेती कैसे किसान करें और किन बातों का ध्यान रखें-
- गाजर की खेती के लिए बढ़िया किस्म का चुनाव करें। इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
- साथ ही आपको बता दे की गाजर की बुवाई 2 सेंटीमीटर की गहराई में और 15 से 20 सेंटीमीटर दूरी एक से दूसरे बीज में रखें।
- हल्की सिंचाई नियमित रूप से करें, जिससे बढ़िया फसल हो।
- पानी ज्यादा ना दे, ज्यादा पानी से जड़ गलन की समस्या आ सकती है।
- तीन से चार महीने में गाजर की फसल तैयार हो जाती है।
- गाजर जब मोटी दिखाई पड़े तो निकाल कर उसकी बिक्री कर सकते हैं।
- बढ़िया तरीके से किसान खेती करेंगे तो एक एकड़ से 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होगा। जिससे अच्छा मुनाफा भी मिलेगा।
गाजर की किस्में
गाजर की खेती किसान कर रहे है तो बढ़िया किस्मों का चुनाव करें। जिसमें गाजर की कई बेहतरीन किस्में होती हैं, जिन्हें उनके स्वाद, रंग, आकार आदि के आधार पर चुना जाता है, तो चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार कुछ किस्मों के बारें में जाने-
- गाजर की देसी किस्में- पूसा रुधिरा , पूसा केसर, भाकर एर्ली
- गाजर की हाईब्रिड किस्में- न्यू कुरोदा, महाकोनिका, हिसार गौरव
- गाजर की विदेशी किस्में- इम्पेरिएटर, डैनवर्स, नांतेस।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।