किसानों के खाते में पहली किस्त जारी हो चुकी है। इसमें 35 लाख किसानों को 3200 करोड़ रुपए दिया गया है। लेकिन कई किसान ऐसे हैं, जिनके खाते में पैसा नहीं आया है। तो चलिए इसका कारण और समाधान जानते हैं।
किसानों के खाते में आए 3200 करोड़ रुपए
किसानों को कई कारणों से सरकार से पैसे मिलते हैं। आज हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की। इसके तहत 35 लाख किसानों को 3200 करोड़ रुपए दिया गया है। देश के कृषि मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पैसे दिए गए हैं। यह किस्त पहली किस्त है।
लेकिन जिन किसानों के खाते में पैसे नहीं आए हैं, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। 8000 करोड़ रुपए की राशि आगे भी दी जाएगी। तो चलिए जानते हैं, जिन्हें पैसा नहीं मिला है, उन्हें क्या करना चाहिए।
जिन्हें नहीं मिला बीमा का पैसा वे करें यह काम
कई किसान ऐसे हैं, जिनकी फसल प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हुई थी और उन्होंने इसकी सूचना भी दी थी। लेकिन उनके खाते में पैसा नहीं आया है। इसके लिए आप बीमा योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in/ पर जाकर चेक कर सकते हैं। वहां “स्टेटस चेक” करने का विकल्प आता है, जिसमें पता चल जाएगा कि पैसा कब तक आएगा।
साथ ही किसानों को इंतज़ार भी करना चाहिए, क्योंकि दूसरी किस्त भी आएगी। उसमें जिनका पैसा नहीं आया, उन्हें मिल सकता है। अगर किसान भाइयों को किसी तरह की समस्या है, तो वे टोल-फ्री नंबर 1800-180-1551 पर शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई क्रॉप इंश्योरेंस ऐप में जाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। जिससे सही बात पता चलेगी।
देरी होने पर मिलता है ब्याज
कृषि मंत्री का कहना है कि किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। अगर पैसा देरी से आता है, तो उन्हें ब्याज दिया जाएगा। बताया जाता है कि पीएम फसल बीमा के क्लेम का पैसा जब समय पर नहीं मिलता और कंपनी या बैंक से देरी होती है, तो किसानों को 12% ब्याज देना पड़ता है। यह पैसा भी सीधे किसानों के खाते में ही आता है।
कैसे मिलता है पीएम फसल बीमा योजना का फायदा
पीएम फसल बीमा योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को आवेदन करना पड़ता है और प्रीमियम राशि जमा करनी पड़ती है। यह राशि सिर्फ 1.5% से 5% तक होती है। अलग-अलग फसलों के अनुसार प्रीमियम अलग होता है।
अगर बारिश, आंधी-तूफान, रोग, बीमारी या ओलावृष्टि इत्यादि से फसल खराब होती है, तो किसानों को एक निश्चित समय के भीतर शिकायत दर्ज करानी होती है। इसके बाद निरीक्षण किया जाता है और फिर किसानों के खाते में पैसा भेजा जाता है।