अगर पशुपालन करते हैं तो पशुओं के लिए हरे चारे की आपकी चिंता खत्म हो जाएगी। बता दें कि जई की तीन नई किस्में विकसित की गई हैं। आइए इनके बारे में बताते हैं।
पशुओं के लिए हरा और सूखा चारा
पशुपालन में अच्छी आमदनी है, लेकिन पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए हरा और सूखा चारा चाहिए। पशु तभी स्वस्थ रहेंगे, जब उन्हें हर मौसम में हरे चारे के साथ सूखा चारा भी मिलेगा। पशुओं को हरा चारा देने के लिए जई की खेती की जाती है। जई की खेती हरे और सूखे के लिए भी की जाती है। इसे लगाने से बीज भी प्राप्त किया जा सकता है। आपको बता दें कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों और पशुपालकों के लिए जई चारे की तीन नई किस्में विकसित की गई हैं, तो आइए इनके बारे में बताते हैं।

जई की 3 नई किस्में
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जई की तीन नई किस्मों के बारे में जानें-
- सबसे पहले हम जई की HFO 917 किस्म के बारे में जानेंगे। अगर HFO 917 किस्म की बात करें तो इसकी खेती से हम हरा चारा, सूखा चारा और भी बीज प्राप्त कर सकते हैं। अगर उत्पादन की बात करें तो एक हेक्टेयर में 192 क्विंटल हरा चारा और 28 क्विंटल सूखा चारा प्राप्त किया जा सकता है। इससे बीज की भी बंपर पैदावार देख सकते हैं, यह किस्म एक हेक्टेयर में 23.8 क्विंटल बीज की पैदावार देती है। जिससे कमाई की जा सकती है।
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- जई चारा की दूसरी किस्म की बात करें तो इसका नाम HFO 1014 है। इसकी खेती से किसान 150 क्विंटल हरा चारा, 28 क्विंटल सूखा चारा और 24.3 क्विंटल तक बीज प्राप्त कर सकते हैं।
- किसानों को HFO 915 किस्म भी मिलेगी, यह भी एक खास किस्म है। इसकी खेती से 234 क्विंटल हरा चारा और 50 क्विंटल सूखा चारा प्राप्त किया जा सकता है।
जई चारा पशुओं के लिए प्रोटीन से भरपूर है, यह पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखता है।