बीज बोने से पहले फसल को पहनाएं सुरक्षा कवच, बीज उपचार करने की यह 3 विधि है शानदार, रोग-बीमारी से फसल बची रहेगी, हजारों रुपए बचेंगे

किसान बीज को रोग बीमारी से बचना चाहते हैं तो चलिए आपको बीज उपचार करने की तीन विधि बताते हैं

बीज उपचार के फायदे

खरीफ फसलों की बुवाई किसान करने जा रहे हैं, कुछ किसानों ने कर दिया है कुछ किसान अभी भी करने जा रहे हैं तो उनसे वैज्ञानिक अपील कर रहे हैं कि आप बीज उपचार करके खेती करें। बीज उपचार करने के कई फायदे हैं जैसे की बीज को बीज जनित, मिट्टी जनित, वायु जनित रोगों से बचाया जा सकता है। कीटों की समस्या से भी बीज को बचाया जा सकता है तथा बीज के अंकुरण की क्षमता बढ़ जाएगी, बीज की क्वालिटी बनी रहेगी, इसलिए बीज का उपचार करना जरूरी है इससे उत्पादन बढ़ेगा।

बीज उपचार किससे होता है

बीज उपचार करने के विभिन्न तरीके हैं जिसमें किसान भाई रसायन जैव रसायन का इस्तेमाल करते हैं बीजों को बीमारियों और कीटों से बचने के लिए बीज का उपचार किया जाता है रासायनिक उपचार में किस फफूंद नाशक कीटनाशक और मिट्टी जनित रोगों के उपचार के लिए दावों का इस्तेमाल करते हैं वही जैव रासायनिक उपचार के लिए जीवाणु कलर जैसे कि राइजोबियम आदि का इस्तेमाल करते हैं।

जिसमें जैव कीटनाशी ट्राइकोडर्मा विरीडी या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 5 ग्राम और 5 मिलीलीटर को एक किलोग्राम बीज की दर से इस्तेमाल किया जाता है। इसके आलावा कार्बेन्डाजिम 50 फीसदी, थीरम 75 फीसदी और डब्लू.पी. का 2 ग्राम एक किलोग्राम बीज की दर से उपयोग कर सकते है। फिर किसान भाई अगर मिट्टी जनित कीटों से फसल को बीज बचाना चाहते है तो क्लोरपायरीफास 20 फीसदी ई.सी का 6 मिलिमीटर एक किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार कर सकते है। जिससे बीज को कई तरह की बिमारियों से आने वाले समय में बचा सकते है।

एक्सपर्ट बताते है कि किसानों को फफूंदनाशी से बीज उपचार करने के बाद फिर कीटनाशक से बीज उपचार करना चाहिए। ऐसा कई किसान करते है।

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बीज उपचार करने की 3 विधि

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार बीज उपचार करने की तीन विधि के बारे में जानें-

  • सबसे पहले घड़ा विधि की बात कर लेते हैं तो बीज उपचार करने के लिए किसान घड़ा का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें घड़ा में बीज और दवा डाला जाता है, और फिर जब घड़ा का दो तिहाई भाग भर जाए तो उसके मुंह को बंद करके हिलाया जाता है। जिससे बीज और दवा आपस में बहुत अच्छे तरीके से मिल जाते हैं। उसके बाद इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • स्लरी विधि बीज उपचार करने की एक महत्वपूर्ण विधि मानी जाती है। जिसमें दवा का सही मात्रा में गाढ़ा घोल बनाकर बीज के ढेर पर डाल दिया जाता है, और हाथों की मदद से उसे मिलाया जाता है। लेकिन हाथ में ग्लव्स पहन लेने चाहिए जिससे त्वचा पर दवा ना लगे और चेहरे पर मास्क भी लगा सकते हैं।
  • बीज उपचार करने के लिए सीड ड्रम विधि भी बढ़िया है। जिसमें बीज को डाला जाता है और दवाओं को भी डाला जाता है। फिर उसमें एक हैंडल लगा रहता है, जिससे ड्रम को घुमाया जाता है, और बीज की परत पर दवा चढ़ जाती है, और दवा बीज आपस में अच्छे से मिक्स हो जाते हैं।

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